वाहन चलाना केवल एक सुविधा नहीं होती बल्कि एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। सड़क पर आपकी एक छोटी सी गलती आपके साथ-साथ दूसरों की जान भी खतरे में डाल सकती है। इसी की वजह से भारत सरकार और परिवहन विभाग मिलकर ड्राइविंग लाइसेंस जारी करते हैं। हालांकि ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले ड्राइविंग टेस्ट गठित किया जाता है। Driving Test सुनिश्चित करता है कि जब कोई व्यक्ति सड़क पर गाड़ी चलाये तो उसे ट्रैफिक नियम, वाहन नियंत्रण, सड़क सुरक्षा सभी की पूरी समझ हो।
चाहे वह व्यक्ति टू व्हीलर ड्राइविंग लाइसेंस बनाना चाह रहा हो या कार चलना चाह रहा हो सबके लिए ड्राइविंग लाइसेंस बेहद जरूरी है। जैसे कि टू व्हीलर के लिए व्यक्ति को Two Wheeler Driving Test देना पड़ता है। वही कार चलाने के लिए Car Driving Test से गुजरना पड़ता है और यह परीक्षा ही ड्राइविंग क्षमता की असली पहचान होती है।
Driving Test को लेकर लोगो के भ्रम
Driving Test को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल आते हैं कि आखिर ड्राइविंग टेस्ट है क्या ? ड्राइविंग टेस्ट क्यों जरूरी है? RTO Driving Test कैसा होता है? Driving Test Track किस प्रकार का होता है? Driving Test Slot Booking कैसे करें? आफ्टर ड्राइविंग टेस्ट लाइसेंस कब आता है? खासकर Driving Test Rules को लेकर भी लोगों के मन में कई प्रकार के संशय होते हैं, जैसे की Driving Test Track For Two Wheeler/ Driving Test Track For Four wheeler क्या होते है? उनके लिए कौन सी तकनीक इस्तेमाल की जाती है ताकि आसानी से लाइसेंस मिल जाए?
आज के इस लेख में हम आपको इसी से जुड़ा संपूर्ण विवरण देंगे। जहां हम बताएंगे कि ड्राइविंग टेस्ट क्या होता है, ड्राइविंग टेस्ट का ट्रैक कैसा होता है, टू व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक और फोर व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक में क्या फर्क होता है? इसके लिए कौन से नियम पालन करने पड़ते हैं? ड्राइविंग टेस्ट के लिए क्या तैयारियां जरूरी होती है? और ड्राइविंग टेस्ट पास होने के बाद क्या होता है?
चलिए सबसे पहले जानते हैं ड्राइविंग टेस्ट आखिर क्या होता है?
ड्राइविंग टेस्ट एक आधिकारिक परीक्षा होती है जो RTO द्वारा ली जाती है। जिसे RTO Driving Test भी कहा जाता है। यह टेस्ट रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में गठित किया जाता है। अर्थात इस टेस्ट के लिए आपको आपके नजदीकी RTO में जाना पड़ता है। टेस्ट देने के लिए आपको सबसे पहले RTO में Driving Test Slot बुक करना पड़ता है। इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि आप सड़क पर वाहन चलाने के लिए पूरी तरह से योग्य है या नहीं। और ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए इससे टेस्ट से गुजरना बेहद जरूरी है।
ड्राइविंग टेस्ट में केवल वाहन चलाना ही नहीं देखा जाता बल्कि आपकी ट्रैफिक के नियम की समझ, रोड सेफ्टी, वाहन पर नियंत्रण और वाहन चलते हुए बरती जाने वाली जिम्मेदारी वाला व्यवहार भी रखा जाता है। इस दौरान RTO ऑफीसर आपकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखता है। फिर चाहे वह Two Wheeler Driving Test हो या Car Driving Test सभी का उद्देश्य एक होता है कि ड्राइवर सुरक्षित और अनुशासित तरीके से गाड़ी चलाएं और उसी के आधार पर उसे लाइसेंस प्रदान किया जाए।
Importance Of Driving Test: ड्राइविंग टेस्ट क्यों जरूरी है?
सड़क पर दिन-ब-दिन दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में प्रशिक्षित व्यक्ति को ही गाड़ी चलाने का लाइसेंस दिया जाए। इस बात को ध्यान में रखते हुए ड्राइविंग टेस्ट गठित किया जाता है ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले ड्राइविंग टेस्ट बेहद जरूरी होता है। इस दौरान गाड़ी चलाने वाले के मानसिक और शारीरिक परीक्षण किए जाते हैं। गाड़ी पर उसका नियंत्रण देखा जाता है। सुनिश्चित किया जाता है कि वह ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सड़क सेफ्टी के बारे में उसे पता हो।
यदि बिना ड्राइविंग टेस्ट के लाइसेंस दे दिया जाए तो दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसीलिए Driving Test Rules को सख्त बनाया गया है। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में Standardise Driving Test Track बनाए जाते हैं जहां पर 2 व्हीलर टेस्ट और 4 व्हीलर टेस्ट आयोजित किए जाते हैं।
Types Of Driving Test: भारत मे ड्राइविंग टेस्ट के प्रकार
भारत में ड्राइविंग टेस्ट मुख्य रूप से वाहन की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग रूप में गठित किया जाता है। हर वाहन के लिए ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक अलग होते हैं और उसके अलग नियम तय किए जाते हैं। मुख्य रूप से भारत में दो प्रकार के ड्राइविंग टेस्ट लिए जाते हैं
2 wheeler Driving Test और Car Driving Test जिसे 4 wheeler Driving Test भी कहा जाता है।
1. Two Wheeler Driving Test
यह टेस्ट बाइक या स्कूटर के लिए गठित किया जाता है, जिसमें उम्मीदवार को बैलेंस ,क्लच कंट्रोल, स्टीयरिंग कंट्रोल इत्यादि परखा जाता है। टू व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है Driving Test Track For Two wheeler जिसे आम भाषा में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक मेजरमेंट फॉर टू व्हीलर भी कहा जाता है। इस टेस्ट के दौरान ट्रैक पर 8 लिखकर एक रास्ता तैयार किया जाता है जिसमें वाहन चालक को बिना पैर जमीन पर लगाए , बिना संतुलन खोए, निश्चित लेन के अंदर वाहन चलाना होता है। और इसी ट्रैक पर गाड़ी चलाने के बाद RTO ऑफीसर तय करते हैं कि आवेदक सड़क पर गाड़ी चलाने के लिए सही उम्मीदवार है या नहीं।
2. Car Driving Test /4 व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट
कार ड्राइविंग टेस्ट में उम्मीदवार की उसके चौपहिया वाहन पर पकड़ ,उसके धैर्य, उसके ट्रैफिक नियमों की समझ देखी जाती है। इसमें कार ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तैयार किया जाता है और आवेदक को इसी ट्रैक पर आगे और रिवर्स मोड में गाड़ी चलानी होती है। कार ड्राइविंग टेस्ट के लिए RTO द्वारा H Shape, या L shape ट्रैक तैयार किया जाता है।
कुछ आरटीओ में T shape ट्रैक भी तैयार किया जाता है। जिसे RTO Car Driving Test track कहा जाता है। और इस पर आवेदक को कार चलनी होती है। यहां आवेदक को कार को सीधे लेकर लेफ्ट ,फिर रिवर्स और फिर राइट लेकर पुनः रिवर्स लेना पड़ता है। अथव RTO अधिकारी के बताए हुए दिशा निर्देशानुसार गाड़ी चलानी पड़ती है। जिसके बाद ही आरटीओ अधिकारी आवेदक के लाइसेंस एप्लीकेशन को पास करते हैं।
Driving Test lane: ड्राइविंग टेस्ट लेन क्या होती है?
किसी भी ड्राइविंग टेस्ट को गठित करने के लिए रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिस अधिकारियों द्वारा ड्राइविंग टेस्ट लेन तैयार की जाती है। यह ऐसा ट्रैक होता है जिस पर उम्मीदवार को वाहन चलाना होता है। यह लेन को खास तरह से डिजाइन किया जाता है ताकि आवेदक जब गाड़ी चलाये तो उसकी छोटी गलती तुरंत पकड़ी जा सके।
Two Wheeler Driving Test Lane
टू व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट के लिए Sstandardise 8 lane track for Two wheeler Driving Test तैयार की जाती है जिसमें ट्रैक पर बड़े से अक्षरों में 8 लिखा जाता है। इस ट्रैक की चौड़ाई 2.5 से 3 मीटर की होती है। इसकी एक सीमित चौड़ाई होती है और इस 8 के आकार पर टू व्हीलर चलाने वाले को गाड़ी चलानी पड़ती है। गाड़ी चलाते हुए उसे संतुलन, गाड़ी चलाते वक्त के नियम, सिग्नल, टर्न लेते वक्त के नियम इत्यादि का ध्यान रखना पड़ता है। यदि उम्मीदवार इस लेन से बाहर निकल जाता है या पैर जमीन पर रख देता है तो टेस्ट असफल मान लिया जाता है।
Car Driving Test Lane
कार ड्राइविंग टेस्ट के लिए सीधी और मोड वाली लेन तैयार की जाती है। आमतौर पर RTO द्वारा H शेप, L शेप या T शेप की लेन तैयार की जाती है। जहां कार को सीधा, लेफ्ट, राइट रिवर्स इत्यादि करना होता है। इस दौरान ड्राइवर को सुनिश्चित करना होता है कि वह लाइन बिना टच किये पूरा कार्य समाप्त करे। यदि किसी भी जगह कार के टायर ने लाइन को टच की तो एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है।
Driving Test Rules: ड्राइविंग टेस्ट के दौरान कौन से नियमों का पालन करना जरूरी होता है
ड्राइविंग टेस्ट के दौरान उम्मीदवार को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। यदि इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो ड्राइविंग टेस्ट फेल कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए
- आवेदक के पास में वैध लर्निंग लाइसेंस होना जरूरी है।
- आवेदक का DL Test Slot पहले से बुक होना जरूरी है।
- वाहन के पूरे कागजात आवेदक के पास में होने चाहिए ।
- आवेदक को इस दौरान टेस्ट के दौरान भी कुछ सड़क नियमों का पालन करना होता है जैसे की
- गाड़ी चलाते समय इंडिकेटर का सही उपयोग
- वाहन मोड़ते समय या टर्न लेते समय Road Science for Driving Test का पालन करना
- जरूरत पड़ने पर Hand Signal for Driving Test का उपयोग करना
- अचानक ब्रेक लगाने या तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने से बचाना
- इस दौरान RTO अधिकारी इन पूरे नियमों को बारीकी से देखते हैं।
Driving Test Mistakes: टेस्ट कौन सी गलतियां की वजह से फेल हो सकता है
- आमतौर पर ड्राइविंग टेस्ट लेन से गाड़ी बाहर निकलने पर फेल हो जाता है।
- यदि टू व्हीलर चला रहे हैं और पैर जमीन पर लग गया तो फेल कर दिया जाता है।
- कार ड्राइविंग चलाते समय यदि वाहन चालक ने लाइन टच कर ली तो टेस्ट में फेल किया जाता है।
- मोड पर गाड़ी टर्न करते समय इंडिकेटर ना दिया, हैंड सिगनल्स का प्रयोग न करने की वजह से भी ड्राइविंग टेस्ट में फेल कर दिया जाता है।
Driving Test Points to Remember: टेस्ट के दौरान कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए
ड्राइविंग टेस्ट के दौरान कुछ विशेष रूल्स का ध्यान रखना जरूरी है जैसे कि
- 2 व्हीलर या 4 व्हीलर चलाते समय टर्न के दौरान इंडिकेटर देना
- हाथ से सिग्नल देना
- ज्यादा एक्सीलेटर देने से बचना
- मोड पर नजर बनाए रखना
- इंडिकेटर और मिरर का सही उपयोग करना
- फॉरवर्ड और रिवर्स ड्राइविंग के दौरान सही सिग्नल्स का इस्तेमाल करना
- अचानक ब्रेक या झटके से बचना
- ट्रैफिक नियम का पालन करना
- स्टीयरिंग कंट्रोल में रखना
- क्लच ब्रेक का संयम में बनाकर रखना इत्यादि
इस दौरान कुछ विशेष सिग्नल्स का पालन करना भी जरूरी है। इसके लिए रोड साइंस की पहचान होनी आवश्यक है जैसे कि
- स्टॉप साइन
- नो एंट्री
- स्पीड लिमिट
- वन वे
- यू टर्न
- प्रोहिबिटेड इत्यादि
ड्राइविंग टेस्ट के दौरान वाहन आरटीओ अधिकारी हैंड सिग्नल से जुड़े सवाल भी पूछते हैं जैसे कि दाएं मुड़ने का संकेत ,बाय मुड़ने का संकेत वाहन रोकने का संकेत इत्यादि।
इस दौरान वहां मोड़ते समय कौन सा इंडिकेटर जरूरी है, पीली लाइन का अर्थ क्या है? ओवरटेकिंग कहां वर्जित है ऐसे सवाल भी पूछे जाते हैं?
Driving Test Slot booking: टेस्ट स्लॉट कैसे बुक करें?
- ड्राइविंग टेस्ट स्लॉट बुक करना आज बेहद ही आसान हो चुका है। आप ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर Driving Test Slot बुक कर सकते हैं।
- इसके लिए सबसे पहले आपको parivahan.gov.in आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
- यहां जाकर आपको ड्राइविंग लाइसेंस सर्विस पर विकल्प को चुनना होगा।
- ड्राइविंग लाइसेंस सर्विस के विकल्प को चुनने के बाद अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस का फॉर्म भरना होगा।
- याद रखें ड्राइविंग टेस्ट स्लॉट तभी बुक होता है जब आपके पास पहले से ही लर्निंग लाइसेंस हो और लर्निंग लाइसेंस बनाने के 30 दिन के बाद अब 6 महीने के भीतर कभी भी ड्राइविंग लाइसेंस हेतु आवेदन कर सकते हैं ।
- इस दौरान फॉर्म में आपको सारा विवरण दर्ज करना होगा और सारे दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
- इसके बाद आपको स्टॉल बुकिंग फॉर ड्राइविंग टेस्ट के विकल्प पर क्लिक करना होगा ।
- अपने एप्लीकेशन नंबर और DOB डालना होगा और उपलब्ध तारीख को समय का चुनाव करना होगा।
- इसके बाद आपको SLOT कंफर्म करना होगा और पेमेंट करनी होगी ।
- और पेमेंट करते ही आपके पास SMS से कंफर्मेशन आ जाता है।
- इस प्रकार RTO में तय तारीख और तय समय पर आप ड्राइविंग टेस्ट के लिए पहुंच सकते हैं।
Driving Test Ground: भारत के आधुनिक ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड
भारत के कई शहरों में RTO विभाग द्वारा विशेष रूप से ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड तैयार किए गए हैं। यह ग्राउंड खुले हुए मैदान या परिसर होते हैं जहां ड्राइविंग टेस्ट आयोजित किया जाता है। इसी स्थान पर उम्मीदवार का टू व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट और कार ड्राइविंग टेस्ट आयोजित किया जाता है। यह बड़े ग्राउंड खास कर ड्राइविंग टेस्ट के लिए ही तैयार किए जाते हैं। इन ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड के अंदर अलग-अलग ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक/ ड्राइविंग टेस्ट लेन तैयार किए जाते हैं।
वर्तमान में सरकार ने ड्राइविंग टेस्ट को और ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए कई शहरों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड भी विकसित कर दिए हैं। जहां सेंसर और कैमरों के जरिए पूरा टेस्ट रिकॉर्ड किया जाता है और अधिकारियों द्वारा परखा जाता है कि उम्मीदवार ने लेन टच की या नहीं? पैर जमीन पर लगा या नहीं? नियमों का पालन किया या नहीं? ऐसे में ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड में किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं होती बल्कि निष्पक्ष परिणाम सामने आते हैं।
भारत में ऐसे विशेष ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड मौजूद है
जैसे की
- Muttathara Driving Test Ground : यह टेस्ट ग्राउंड जो देश के प्रसिद्ध टेस्ट ग्राउंड में से एक है यह केरल का स्टैंडर्डाइज्ड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक है। जहां हाईटेक फैसेलिटीज मौजूद है।
- Sarai kale khan Driving Test Ground : जो दिल्ली का टेस्ट ग्राउंड है। यहां भी रोजाना हजारों उम्मीदवार ड्राइविंग टेस्ट के लिए पहुंचते हैं।
- Mumbai Andheri Driving Test Ground : यह ग्राउंड भी सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है।
- Bangalore Electronic city Driving Test Ground : यह भी देश का एक बहुत बड़ा ड्राइविंग टेस्ट ग्राउंड है। यहां केवल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ही ड्राइविंग टेस्ट नहीं गठित किए जाते बल्कि
Ksrtc jobs karnataka gov in Driving Test date और ksrtc jobs.karnataka.gov.in के माध्यम से इस Ground मे KSRTC सरकारी ड्राइवर नियुक्ति हेतु भी Driving Test आयोजित किए जाते हैं।
ड्राइविंग टेस्ट के बाद क्या होता है?
ड्राइविंग टेस्ट पूरा करने के बाद 2 से 3 दिन में आधिकारिक वेबसाइट पर स्टेटस अपडेट कर दिया जाता है। यदि आप इस ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में पास हो चुके हैं तो 7 से 15 दिनों के भीतर आपके घर पर ड्राइविंग लाइसेंस पहुंच जाता है। यदि ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में आप फेल हो जाएंगे तो आप उन्हें ड्राइविंग टेस्ट बुक कर सकते हैं। और डायरेक्ट टेस्ट दे सकते हैं। हालांकि ड्राइविंग टेस्ट देने से पहले गाड़ी चलाने की प्रैक्टिस खाली ग्राउंड में अच्छी तरह से करें ताकि टेस्ट के दौरान किसी प्रकार की कोई गलती ना हो।
Conclusion
ड्राइविंग टेस्ट केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है बल्कि सड़क सुरक्षा का आधार है। यदि आप चाहते हैं कि Driving Test में आप एक ही बार में टेस्ट पास कर ले तो ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की समझ रखें। रोड साइंस का ध्यान दें, नियमों का पालन करें, रोजाना खाली ग्राउंड पर गाड़ी चलाने की प्रैक्टिस करें, टू व्हीलर ड्राइविंग टेस्ट और कार ड्राइविंग टेस्ट दोनों के बीच का अंतर समझें और जिम्मेदारी से गाड़ी चलाने के प्रैक्टिस करें। ऐसा करने से निश्चित ही आप पहली बार में ही ड्राइविंग टेस्ट पास कर लेते हैं और आप ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर शान से सड़कों पर गाड़ी चला सकते हैं।



